Hairan Hoon Main - Shabbir Kumar

Hairan Hoon Main

Shabbir Kumar

00:00

07:39

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Lyric

कितना हसीन होगा मोहब्बत का वो सफ़र

तुम जैसा कोई साथी अगर अपने साथ हो

इनकार साथ होने से हमको नहीं, मगर

ये साथ उम्र-भर जो निभाने की बात हो

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

इनको घटा कहूँ...

इनको घटा कहूँ तो घटाओं को क्या कहूँ?

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

इसको अदा को कहूँ...

इसको अदा को कहूँ तो अदाओं को क्या कहूँ?

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

कितनी है ख़ुश-नसीब ये बहकी हुई हवा

हाथों में जिसके रेशमी आँचल है आपका

इतना क़रीब आपके मैं भी ना क्यूँ हुआ?

इसको वफ़ा कहूँ...

इसको वफ़ा कहूँ तो वफ़ाओं को क्या कहूँ?

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

इसको अदा को कहूँ तो अदाओं को क्या कहूँ?

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

नग़्में मुझे बहार सुनाती रही, मगर

उसका मेरी जवानी पे कुछ ना हुआ असर

आवाज़ जब तुम्हारी मेरे दिल में उतर गई

कोयल की मीठी-मीठी...

कोयल की मीठी-मीठी सदाओं को क्या कहूँ?

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

इनको घटा कहूँ तो घटाओं क्या कहूँ?

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

रंनीनियाँ है गालों की जैसे चमन के फूल

जो कुछ कहा जनाब ने सब है मुझे क़ुबूल

बहके हुए क़दम हैं तो महका हुआ बदन

तुमको फ़ज़ा कहूँ...

तुमको फ़ज़ा कहूँ तो फज़ाओं को क्या कहूँ?

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

इसको अदा को कहूँ तो अदाओं को क्या कहूँ?

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

इनको घटा कहू तो घटाओं को क्या कहूँ?

तारीफ़ करना हुस्न की मर्दों की है अदा

हैरान हूँ मैं आपकी ज़ुल्फ़ों को देखकर

- It's already the end -