Sukoon - From "It Happened In Calcutta" - Akhil Sachdeva

Sukoon - From "It Happened In Calcutta"

Akhil Sachdeva

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Lyric

सुकून है हवा में, सुकून है फ़िज़ा में

ज़रूरतें बन गई हैं, हाँ, राहतें मिली हैं

तू मिले, ना मिले, मिल गई है

ज़िंदगी की खुशी बन गई है, जाने-अनजाने

प्यार तुझसे, प्यार तुझसे बेहिसाब है

प्यार तुझसे, प्यार तुझसे बेहिसाब है

प्यार तुझसे, प्यार तुझसे बेहिसाब है

प्यार तुझसे, हाँ, प्यार तुझसे बेहिसाब है

सुकून है हवा में (तेरे होने से)

सुकून है फ़िज़ा में (तुझे पाने से)

ज़रूरतें बन गई हैं (जाने-अनजाने)

हाँ, राहतें मिली हैं तेरे आने से

छुए मुझे जो तुझे छू के आए हवा

कहे मुझे; "आख़िरी साँस बन तो ज़रा"

खोया नहीं, खो के ही तुझको जो पा लिया

रहूँ तेरी आँखों में बनके सपना तेरा

ऐसी भी कोई कहीं दुनियाँ मिले

जहाँ हम ना हों, पर साँसें चलें

तू मिले, ना मिले, मिल गई है

ज़िंदगी की खुशी बन गई है, जाने-अनजाने

प्यार तुझसे, प्यार तुझसे बेहिसाब है

प्यार तुझसे, प्यार तुझसे बेहिसाब है

सुकून है हवा में (तेरे होने से)

सुकून है फ़िज़ा में (तुझे पाने से)

ज़रूरतें बन गई हैं (जाने-अनजाने)

हाँ, राहतें मिली हैं तेरे आने से

- It's already the end -