Saajna Re - Gajendra Verma

Saajna Re

Gajendra Verma

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Lyric

रात तारों की है

मोती सब सीप के

चाँद की जिस तरह चाँदनी

तेरी बन के जियूँ

तेरी हो के मरूँ

मैं भी बस इसलिए हूँ बनी

हो, ओ, हो, हो

साजना रे, साजना रे, प्यार से देख तो तू कभी

तू है सागर वही जिसकी मैं हूँ नदी

अंत मेरा लिखा तुझमें ही

साजना रे, साजना रे, साजना रे

रेत सूखी, मैं सईयाँ, तू सावन

तू जो मैली करे होंगी पावन

तुझको पा लूँ तो गंगा बनी मैं बहूँ

बिन तेरे मैं अधूरी-अधूरी

तू जो अपना ले हो जाऊँ पूरी

ग़म नहीं, फिर रहूँ या ना रहूँ

ख़ाख़ बन के पिया उड़ती, बिछती फिरूँ

तू गुज़रता है जिस-जिस गली

मैं तो भूखी पिया इक तेरी दीद की

तुझको ना हो क़दर ना सही

साजना रे, साजना रे, प्यार से देख तो तू कभी

तू है सागर वही जिसकी मैं हूँ नदी

अंत मेरा लिखा तुझमें ही

साजना रे, साजना रे, साजना रे

साजना रे, साजना रे, साजना रे

साजना, साजना, साजना रे

- It's already the end -