Mohabbat Inayat Karam Dekhte Hain - Anuradha Paudwal

Mohabbat Inayat Karam Dekhte Hain

Anuradha Paudwal

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Lyric

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

कहाँ हम तुम्हारे सितम देखते हैं

कहाँ हम तुम्हारे सितम देखते हैं

ना वादे, ना झूठी क़सम देखते हैं

ना वादे, ना झूठी क़सम देखते हैं

तुम्हें कितनी चाहत से हम देखते हैं

तुम्हें कितनी चाहत से हम देखते हैं

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

नज़र ये हमारी ना लग जाए तुम को

यही सोच कर तुम को कम देखते हैं

नज़र ये हमारी ना लग जाए तुम को

यही सोच कर तुम को कम देखते हैं

अगर देखना है तो जी-भर के देखो

अगर देखना है तो जी-भर के देखो

कभी फिर ना कहना कि कम देखते हैं

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

कहाँ हम तुम्हारे सितम देखते हैं

तुम्हें कितनी चाहत से हम देखते हैं

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

नहीं कोई मतलब जहाँ के सितम से

बस अपने इरादों को हम देखते हैं

नहीं कोई मतलब जहाँ के सितम से

बस अपने इरादों को हम देखते हैं

तुम्हें पा लिया है तो खोने ना देंगे

तुम्हें पा लिया है तो खोने ना देंगे

बहुत पास तुम को, सनम, देखते हैं

मोहब्बत, इनायत, करम देखते हैं

ना वादे, ना झूठी क़सम देखते हैं

कहाँ हम तुम्हारे सितम देखते हैं

तुम्हें कितनी चाहत से हम देखते हैं

- It's already the end -